Monday, December 23, 2024

Antibiotic Resistance: एंटीबायोटिक दवाओं का असर हो रहा कम, दुनिया भर में लाखों लोगों को रिस्क

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Antibiotic Resistance: वर्तमान समय में जो दवाइयां पहले चिकित्सा विज्ञान की क्रांतिकारी खोज मानी जाती थीं, आज वे मानव स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चुनौती बनती जा रही हैं। एंटीबायोटिक दवाइयों का प्रभाव लगातार कम होता जा रहा है, और बैक्टीरियल तथा वायरल संक्रमण में ये दवाइयां अक्सर बेअसर साबित हो रही हैं। इस स्थिति को मेडिकल क्षेत्र में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) के नाम से जाना जाता है, जिसमें सबसे सामान्य समस्या एंटीबायोटिक्स रेजिस्टेंस है।

यह स्थिति मुख्यतः एंटीमाइक्रोबियल दवाओं के अत्यधिक और अनुचित उपयोग के कारण उत्पन्न हो रही है। इसमें सभी प्रकार की एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल्स और एंटीफंगल दवाएं शामिल हैं।

Antibiotic Resistance: एंटीमाइक्रोबियल और एंटीबायोटिक्स रेजिस्टेंस वास्तव में क्या है?

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यह तब होता है जब बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीव दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं, जिससे संक्रमण का इलाज करना मुश्किल हो जाता है। इस प्रक्रिया में बैक्टीरिया समय के साथ विकसित होते हैं और दवाओं के खिलाफ अपनी रक्षा करने की क्षमता हासिल कर लेते हैं।

Antibiotic Resistance: क्या है इसकी वजह ?

इसका मुख्य कारण दवाओं का अत्यधिक उपयोग और गलत तरीके से सेवन करना है। लोग अक्सर बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक लेने लगते हैं, जिससे बैक्टीरिया को दवाओं के खिलाफ लड़ने का मौका मिलता है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान, लोगों में संक्रमण से बचने की चिंता ने इस समस्या को और बढ़ा दिया।

Antibiotic Resistance: जीवन रक्षक एंटीबायोटिक कब स्वास्थ्य के लिए खतरा बन जाती हैं?

जब इन दवाओं का उपयोग बिना उचित निगरानी और आवश्यकता के किया जाता है, तब वे हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरा बन जाती हैं। इससे न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को नुकसान होता है, बल्कि ये संक्रामक बीमारियों के उपचार को भी चुनौती देती हैं।

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Antibiotic Resistance: इस खतरे से बचने के लिए क्या सावधानियां जरूरी हैं?

इस समस्या से निपटने के लिए सबसे पहले हमें समझदारी से दवाओं का उपयोग करना होगा। डॉक्टर की सलाह के बिना कभी भी एंटीबायोटिक नहीं लेनी चाहिए। हमें अपनी सेहत को लेकर जागरूक रहना होगा और संक्रमण से बचने के लिए उचित तरीके अपनाने होंगे।

Antibiotic Resistance: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की चेतावनी

WHO ने हाल ही में एक अध्ययन में चेतावनी दी है कि कोविड महामारी के दौरान लोगों को अत्यधिक एंटीबायोटिक दवाएं दी गईं। रिपोर्ट के अनुसार, कोविड से संक्रमित केवल 8% लोगों को एंटीबायोटिक की जरूरत थी, लेकिन डर और चिंता के चलते 75% लोगों ने ये दवाएं लीं। भारत में तो लोग छोटी-छोटी बीमारियों में भी खुद ही मेडिकल स्टोर से एंटीबायोटिक खरीदने लगे, जिससे समस्या और बढ़ गई।

इसलिए, हमें इस संकट को समझना होगा और इसके प्रति सजग रहना होगा। हमारी छोटी-छोटी आदतें और निर्णय भविष्य में हमारी सेहत पर बड़े प्रभाव डाल सकते हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि दवाइयों के प्रति एक ऐसा प्रतिरोध विकसित हो गया है जिसे सुपरबग कहा जाता है। यह समस्या कोविड-19 महामारी से पहले भी गंभीर थी, लेकिन अब यह और भी अधिक चिंताजनक हो गई है।

WHO के अनुसार, एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) एक बहुत बड़ा वैश्विक खतरा है। आंकड़ों के मुताबिक, 30 करोड़ से ज्यादा लोग इस खतरे के शिकार हैं। 2019 में, एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के कारण दुनिया भर में 12 लाख लोगों की जान गई, और लगभग 49 लाख लोगों की मौत में AMR की भूमिका थी। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए एक वास्तविक और गंभीर चुनौती है।

Antibiotic Resistance: एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस क्या है?

जब हमारे शरीर में कोई बैक्टीरिया या वायरस हमला करता है, तो हम बीमार पड़ जाते हैं। अगर वह वायरस इतना ताकतवर है कि हमारा शरीर खुद से उसे नहीं हरा सकता, तो डॉक्टर हमें एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं। ये दवाएं बैक्टीरिया को खत्म करके हमारे शरीर की रक्षा करती हैं।

लेकिन जब हम बार-बार बिना जरूरत के एंटीबायोटिक दवाएं लेते हैं, तो हमारे शरीर में मौजूद बैक्टीरिया उस दवा के प्रति इम्यून हो जाते हैं। ऐसे में, दवा का कोई असर नहीं होता। यही स्थिति एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस कहलाती है।

जब यह प्रतिरोध विभिन्न प्रकार की दवाओं—जैसे एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल्स और एंटीफंगल्स—के लिए विकसित हो जाता है, तो इसे एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस कहा जाता है। यह स्थिति न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि यह पूरे स्वास्थ्य प्रणाली पर भी गंभीर प्रभाव डालती है।

इसलिए, हमें अपनी दवाओं के उपयोग के प्रति जागरूक रहना होगा। स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतना, डॉक्टर की सलाह का पालन करना और जरूरत पड़ने पर ही दवाएं लेना बेहद आवश्यक है। यह हमारी और हमारे समाज की भलाई के लिए महत्वपूर्ण है।

Antibiotic Resistance: एक गंभीर समस्याAntibiotic Resistance: एंटीबायोटिक दवाओं का असर हो रहा कम, दुनिया भर में लाखों लोगों को रिस्क

क्या आपने कभी ‘भेड़िया आया, भेड़िया आया’ वाली कहानी सुनी है? उस कहानी में एक लड़का रोज़-रोज़ झूठा शोर मचाता है, जब सच में भेड़िया आता है, तो कोई उसकी मदद करने नहीं आता। कुछ इसी तरह की कहानी एंटीबायोटिक दवाओं की भी है। हम छोटी-छोटी समस्याओं पर भी दवा लेने में संकोच नहीं करते। जब थोड़ी सी बुखार, जुखाम या सिरदर्द होता है, तो तुरंत एंटीबायोटिक्स की ओर भागते हैं।

आजकल तो डॉक्टर के पास जाने की भी ज़रूरत नहीं समझते। सीधा मेडिकल स्टोर जाते हैं, अपनी समस्या बताते हैं और वहाँ से भारी-भरकम एंटीबायोटिक्स लेकर आ जाते हैं। हम सोचते हैं कि जब हमने दवा ली, तो अब हम जल्दी ठीक हो जाएंगे। लेकिन सच्चाई यह है कि जो सामान्य सर्दी-खांसी या बुखार खुद ब खुद ठीक हो सकता था, उसे दवा लेकर भी ठीक करने में हमें वही दो दिन लगते हैं। और हम खुश होते हैं कि दवा ने काम किया।

लेकिन क्या हम जानते हैं कि जब हम बार-बार दवाओं का सेवन करते हैं, तो हमारे शरीर के बैक्टीरिया इन दवाओं के प्रति प्रतिरोधक बन जाते हैं? अब ये एंटीबायोटिक्स हमारे लिए बेअसर हो रहे हैं। केवल दवा नहीं, हमारे खाने-पीने की चीज़ों में भी ये रसायन घुल गए हैं। फल, सब्जियाँ, पानी, मिट्टी—हर जगह एंटीबायोटिक्स का प्रभाव है, जिससे बैक्टीरिया और वायरस के प्रति हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ रही है।

सुपरबग्स एक नई चुनौती हैं, जो न केवल हमारे शरीर में, बल्कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण के माध्यम से फैल सकते हैं। ये बैक्टीरिया ऐसे हैं, जिन्हें साधारण दवाओं से खत्म करना मुश्किल हो गया है। जैसे कोई शातिर अपराधी, जो किसी सामान्य हथियार से नहीं मारा जा सकता।

इसके अलावा, हम दवाओं के प्रति भी लापरवाह होते जा रहे हैं। डॉक्टर जब पांच दिन की दवा देते हैं, तो हम दो दिन बाद ही खुद को ठीक समझकर दवा लेना बंद कर देते हैं। इस तरह, बैक्टीरिया पूरी तरह खत्म नहीं हो पाते और फिर से उभर आते हैं, जिससे समस्या और बढ़ जाती है।

हमें समझना होगा कि हमारी छोटी-छोटी लापरवाहियों का बड़ा परिणाम हो सकता है। हमें एंटीबायोटिक्स का उपयोग समझदारी से करना चाहिए, ताकि हम इस गंभीर समस्या से बच सकें। एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस से लड़ने के लिए हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना होगा। यही समय है अपनी आदतों में बदलाव लाने का, ताकि हम न केवल खुद को, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी सुरक्षित रख सकें।

Antibiotic Resistance: एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस का पता कैसे चलता है?Antibiotic Resistance: एंटीबायोटिक दवाओं का असर हो रहा कम, दुनिया भर में लाखों लोगों को रिस्क

एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) का पता लगाने का मुख्य तरीका यह है कि जब आप किसी संक्रमण या बीमारी से ग्रसित होते हैं, और डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं, लेकिन ये दवाएं आपके शरीर पर कोई असर नहीं डालतीं। आपकी स्थिति लगातार बिगड़ती जाती है, और डॉक्टर तब और भी मजबूत एंटीबायोटिक्स देने की कोशिश करते हैं। लेकिन जब फिर भी दवाएं कारगर नहीं होतीं, तो यही संकेत होता है कि आपके शरीर में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस विकसित हो चुका है।

यह स्थिति गंभीर होती है क्योंकि आमतौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति को देखकर यह नहीं कहा जा सकता कि वह इस स्वास्थ्य समस्या का शिकार है। वास्तविकता तब सामने आती है जब आपकी बीमारी की गंभीरता बढ़ जाती है, और आप चिकित्सा सहायता के लिए दौड़ते हैं।

Antibiotic Resistance: किसे है अधिक जोखिम?Antibiotic Resistance: एंटीबायोटिक दवाओं का असर हो रहा कम, दुनिया भर में लाखों लोगों को रिस्क
उन लोगों को एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस का अधिक खतरा होता है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। ये वे लोग हो सकते हैं जो लंबे समय से किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, या जिन्हें लगातार दवाओं और रसायनों के संपर्क में रहना पड़ता है। यदि आप इस श्रेणी में आते हैं, तो आपके लिए यह स्थिति और भी चिंताजनक हो सकती है।

इन सब कारणों से हमें समझना चाहिए कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस केवल एक तकनीकी समस्या नहीं है; यह एक गंभीर स्वास्थ्य संकट है जो हमारे जीवन को प्रभावित कर सकता है। हमें अपनी सेहत के प्रति सजग रहना होगा और एंटीबायोटिक्स का उपयोग सोच-समझकर करना होगा। अगर हम अब नहीं जागरूक हुए, तो आने वाले समय में इसका परिणाम हमारे और हमारे प्रियजनों के लिए गंभीर हो सकता है।

Antibiotic Resistance: एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस से बचने के उपाय

एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) से बचने के लिए हमें कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। चलिए, इन पर विचार करते हैं:

सर्दी-जुखाम में लापरवाही न करें: जब भी आपको सर्दी या जुखाम हो, तुरंत एलोपैथिक दवाएं लेने से बचें। ये आम बीमारियाँ अपने आप ठीक हो जाती हैं।

घरेलू उपचार को प्राथमिकता दें: मामूली स्वास्थ्य समस्याओं के लिए, घरेलू उपचार और परहेज को प्राथमिकता दें। हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियाँ भी प्रभावी हो सकती हैं।

इंतज़ार करें: सीजनल वायरल इंफेक्शन आमतौर पर तीन से चार दिन में खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है। दवा लेना आवश्यक नहीं है। अगर संभव हो, तो थोड़ी प्रतीक्षा करें।

डॉक्टर के बिना दवाएं न लें: कभी भी बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं न लें। आजकल कई डॉक्टर एंटीबायोटिक्स को लेकर लापरवाह हो गए हैं, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस पर ध्यान दिया है। एक अच्छे और भरोसेमंद डॉक्टर की सलाह लेना बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वयं दवा खरीदने से बचें: मेडिकल स्टोर से बिना प्रिस्क्रिप्शन के दवा लेना खतरनाक हो सकता है। यह आपकी सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: अपने खान-पान का ध्यान रखें। फल और सब्जियाँ खाएं, और शुगर, अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स, और सिगरेट-शराब से दूर रहें। एक स्वस्थ जीवनशैली आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाएगी।

इन सभी उपायों को अपनाकर, हम न केवल अपनी सेहत को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस की समस्या से भी बच सकते हैं। अब समय है कि हम अपनी आदतों में बदलाव लाएं, ताकि हम अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकें। यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है, और हम सभी को इसमें भागीदारी निभानी होगी।

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