Commercial Ads in Movie Theatre : कल्पना कीजिए, आपने फिल्म का टिकट लिया, और अपने परिवार या दोस्तों के साथ सिनेमा हॉल पहुंचे, समय पर पहुंचे भी, लेकिन मूवी शुरू होने से पहले क्या हुआ? बार-बार विज्ञापन और फिर विज्ञापन। तय समय के बाद भी करीब 25 से 30 मिनट तक फिल्म नहीं शुरू होती और मूवी की शुरुआत में ही आपका मूड ऑफ हो जाता है।
यही नहीं, ऐसा लगभग हर सिनेमा हॉल में देखने को मिलता है। टिकट पर जो मूवी शुरू होने का समय दिया जाता है, वह समय भी सिर्फ नाम का होता है। सिनेमा हॉल वाले तय समय से पहले लगातार विज्ञापन चलाते रहते हैं, जिससे दर्शकों का समय खराब होता है। अब सवाल यह उठता है कि सिनेमा हॉल कितनी देर तक विज्ञापन दिखा सकते हैं और अगर आपके साथ भी ऐसा हो, तो आप कहां शिकायत कर सकते हैं?
यह मामला है क्या?
बेंगलुरू के रहने वाले अभिषेक एमआर ने उपभोक्ता अदालत में पीवीआर, आईनॉक्स और बुक माई शो के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उनका कहना था कि सिनेमा हॉल में फिल्म शुरू होने से पहले 25 से 30 मिनट तक सिर्फ विज्ञापन दिखाए जाते हैं, जो न सिर्फ उनका समय बर्बाद करते हैं, बल्कि मानसिक तनाव का कारण भी बनते हैं।
इस पर अदालत ने सिनेमा हॉल को फटकार लगाते हुए उन्हें जुर्माना भी लगाया। अदालत ने अभिषेक को मानसिक परेशानी के लिए 20,000 रुपये और मुकदमेबाजी के खर्चे के रूप में 8,000 रुपये देने का आदेश दिया। इसके अलावा, एक लाख रुपये उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करने का निर्देश भी दिया गया।
विज्ञापनों को दिखाने का क्या नियम है? (Commercial Ads in Movie Theatre)
इस मामले में पीवीआर की तरफ से कई तर्क दिए गए थे, जिसमें यह भी कहा गया कि फिल्म से पहले जो विज्ञापन दिखाए गए, उनमें सार्वजनिक सेवा घोषणाएं शामिल थीं। लेकिन उपभोक्ता अदालत ने स्पष्ट किया कि केंद्र और राज्य सरकार की सार्वजनिक सेवा घोषणाएं और कल्याणकारी योजनाओं के विज्ञापन महज 10 मिनट तक ही दिखाए जा सकते हैं।
इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि फिल्म के दौरान और इंटरवल के वक्त अन्य विज्ञापनों को दिखाया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि फिल्म देखने आए दर्शकों का अनुभव विज्ञापनों की वजह से बर्बाद नहीं होना चाहिए। ऐसे में, अगर आपको भी सिनेमा हॉल में ज्यादा समय तक विज्ञापन दिखाए जा रहे हों, तो आपके पास अधिकार है कि आप उपभोक्ता अदालत में शिकायत करें और अपने अधिकारों की रक्षा करें।
अब क्या करें, अगर आपको भी ऐसा सामना करना पड़े?
अगर आपके साथ भी ऐसा होता है कि फिल्म शुरू होने से पहले 25-30 मिनट तक सिर्फ विज्ञापन दिखाए जा रहे हों, तो आप निश्चित तौर पर इसे लेकर शिकायत कर सकते हैं। इसके लिए उपभोक्ता अदालत का रुख किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में अदालत ने पहले भी सिनेमा हॉल को सजा दी है, और आगे भी ऐसा करने से किसी भी सिनेमा हॉल को डर हो सकता है, जिससे वे इस प्रकार के अनावश्यक विज्ञापनों से बचें।
तो अगली बार अगर सिनेमा हॉल में आपके साथ ऐसा होता है, तो आप अपने अधिकारों के बारे में जरूर जागरूक रहें और जरूरत पड़े तो कदम उठाने से ना हिचकिचाएं।
क्या होते हैं विज्ञापन
विज्ञापन किसी उत्पाद या सेवा को बेचने, बढ़ावा देने या उसके बारे में जनसंचार करने का एक प्रमुख तरीका है। यह एक नियंत्रित जनसंचार माध्यम है, जिसके द्वारा कंपनियाँ अपने उत्पाद या सेवा को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के उद्देश्य से सूचनाएं देती हैं। विज्ञापन का लक्ष्य उपभोक्ताओं को प्रभावित करना और उन्हें किसी विशेष विचार, सहमति, या कार्य के लिए प्रेरित करना होता है।
विज्ञापन शब्द ‘वि’ और ‘ज्ञापन’ से मिलकर बना है, जहाँ ‘वि’ का अर्थ ‘विशिष्ट’ और ‘ज्ञापन’ का मतलब ‘सूचना’ है। इस प्रकार, विज्ञापन का मतलब है ‘विशिष्ट सूचना प्रदान करना’, जिसे उपभोक्ताओं तक पहुंचाकर कंपनी अपने उत्पादों को बढ़ावा देती है।
क्या हैं विज्ञापन के लाभ
विज्ञापन के कई फायदे होते हैं, जो न केवल उत्पादक कंपनियों बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद होते हैं। आइए जानते हैं विज्ञापन के प्रमुख लाभ:
1. उत्पादक कंपनियों को फायदा
विज्ञापन के माध्यम से उत्पादक कंपनियाँ अपनी वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री बढ़ा सकती हैं। विज्ञापन उन्हें अपने उत्पादों के गुण और लाभ को उपभोक्ताओं के सामने लाने का अवसर देता है। इससे कंपनियों को अधिक उपभोक्ता तक अपनी पहुंच बनाने में मदद मिलती है, जिससे उनकी बिक्री में वृद्धि होती है।
2. उपभोक्ताओं के लिए जानकारी
विज्ञापन उपभोक्ताओं को विभिन्न उत्पादों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। क्योंकि बाज़ार में एक ही वस्तु कई कंपनियाँ बनाती हैं, इसलिए विज्ञापन के द्वारा उपभोक्ता यह जान सकते हैं कि कौन सा उत्पाद उनके लिए सबसे अच्छा है। इससे उपभोक्ता को सटीक और सही विकल्प का चयन करने में मदद मिलती है।
3. उपभोक्ता को बेहतर सौदे की सुविधा
विज्ञापन के माध्यम से उपभोक्ता बेहतरीन उत्पादों को उचित मूल्य पर खरीद सकते हैं। कंपनियाँ अपने उत्पादों की विशेषताएँ और मूल्य साझा करती हैं, जिससे उपभोक्ता को अच्छे उत्पाद सस्ते दाम में मिल जाते हैं। इससे उपभोक्ता को उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद कम कीमत पर प्राप्त होते हैं, और उनका जीवन स्तर बेहतर होता है।
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