Monday, December 23, 2024

Atal Bihari Vajpayee: बैलगाड़ी पर सवार होकर संसद क्यों पहुंचे थे अटल बिहारी, मध्य पूर्व के मुस्लिम देशों से क्या था कनेक्शन?

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Atal Bihari Vajpayee: बेशक आज पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें और महंगाई बड़े मुद्दे नहीं बन पाईं, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब ये मुद्दे राजनीतिक रंग बदल देते थे। इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान एक खास घटना हुई थी, जिसने राजनीति के पन्नों पर गहरी छाप छोड़ी। मध्य पूर्व के देशों ने भारत को पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात घटा दिया, जिससे देश की सरकार को तेल की कीमतें 80 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ानी पड़ीं। इस कदम से विपक्षी दल बुरी तरह नाराज हो गए और तत्कालीन जनसंघ नेता अटल बिहारी वाजपेई समेत अन्य नेताओं ने बैलगाड़ी से संसद का रुख किया।

12 नवंबर 1973 को न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी खबर ने इस घटनाक्रम को सार्वजनिक किया। उस दिन संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ और विपक्षी दल, जिसमें वामपंथी और दक्षिणपंथी सभी शामिल थे, ने तेल की कीमतों में हो रही वृद्धि को लेकर सरकार के इस्तीफे की मांग की। अटलजी की पुण्यतिथि पर, आइए इस इतिहास की इस महत्वपूर्ण घटना को एक नए दृष्टिकोण से देखें।

Atal Bihari Vajpayee
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मुस्लिम देशों से संबंध

 

1973 में, पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) ने तेल की आपूर्ति में कटौती की, जिसके कारण दुनिया भर में तेल संकट गहरा गया। भारत पर भी इसका प्रभाव पड़ा, खासकर मध्य पूर्व के मुस्लिम देशों द्वारा तेल की आपूर्ति में कमी के चलते। इस संकट का सामना करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने देश में तेल की कीमतें 80 फीसदी से अधिक बढ़ा दीं। पेट्रोल और डीजल की कमी के चलते इंदिरा गांधी को बाघी के रूप में यात्रा करनी पड़ी, ताकि लोगों को पेट्रोल बचाने का संदेश दिया जा सके।

Atal Bihari Vajpayee
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इस संकट के विरोध में जनसंघ के नेता अटल बिहारी वाजपेई ने एक अनोखा तरीका अपनाया। उन्होंने दो अन्य सांसदों के साथ बैलगाड़ी से संसद का रुख किया, जबकि कई अन्य सांसद साइकिल से पहुंचे। यह सब इंदिरा गांधी की बाघी यात्रा के साथ महंगाई के खिलाफ एक प्रतीकात्मक विरोध था।
अटलजी के संसद में प्रवेश की कहानी भी खास रही। जब वे 1957 में पहली बार सांसद बने, तो चांदनी चौक से संसद भवन तक पैदल जाते थे। बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के हवाले से मिली रिपोर्ट्स के मुताबिक, अटलजी और उनके साथी जगदीश प्रसाद माथुर संसद तक पैदल आते-जाते थे। छह महीने बाद, अटलजी ने रिक्शा लेने की सोची, तो माथुर जी चकित रह गए। बाद में उन्हें याद आया कि अटलजी ने सांसद के रूप में पहली बार वेतन एकत्र किया था, जिससे यह परिवर्तन संभव हो पाया।

पंडित नेहरू की भविष्यवाणी सच हुई
किंगशुक नाग की किताब अटल बिहारी वाजपेयी – ए मैन फॉर ऑल सीजन्स में एक दिलचस्प घटना का ज़िक्र है, जिसे बीबीसी ने भी रिपोर्ट किया था। किताब के अनुसार, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को अटल बिहारी वाजपेयी में विशेष संभावनाएं नजर आती थीं।
Atal Bihari Vajpayee
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BBC ने लिखा कि एक बार जब एक ब्रिटिश राजनयिक भारत आए, तो पंडित नेहरू ने खुद अटल बिहारी वाजपेयी का परिचय कराया। नेहरू ने कहा, “इनसे मिलिए, ये हमारे विपक्ष के उभरते युवा नेता हैं। हालाँकि वे अक्सर मेरी आलोचना करते हैं, लेकिन मैं उनमें देश के भविष्य की झलक देखता हूँ। एक दिन वह इस देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।”
वक्त ने नेहरू की भविष्यवाणी को सही साबित किया और अटल बिहारी वाजपेयी वास्तव में देश के प्रधानमंत्री बने, जो उनकी दूरदर्शिता को प्रमाणित करता है।

नवाज शरीफ को लगा था बड़ा झटका 

पाकिस्तानी पत्रकार नसीम ज़हरा की किताब फ्रॉम कारगिल थ्रू द कॉप में एक दिलचस्प घटना का जिक्र है। नसीम ज़हरा ने लिखा है कि 1999 में नवाज शरीफ भारत आने वाले थे और इसके लिए उन्होंने भारत को फैक्स के माध्यम से एक सद्भावना संदेश भेजा था।

Atal Bihari Vajpayee
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रात करीब 10 बजे अटल बिहारी वाजपेयी का जवाब आया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि वह नवाज शरीफ को भारत आमंत्रित नहीं कर रहे हैं। वाजपेयी ने कहा कि भारत की प्राथमिकता यह है कि पाकिस्तान अपने कारगिल स्थित सैनिकों को वापस बुलाए। ऐसा करने पर ही दोनों देशों के बीच बातचीत फिर से शुरू हो सकेगी।

अटल बिहारी वाजपेई तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने

अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक यात्रा देश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। उन्होंने कुल तीन बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। पहली बार 15 मई 1996 को उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन उनकी सरकार केवल 13 दिनों तक ही टिक पाई।
फिर, 19 मार्च 1998 को वे दूसरी बार प्रधानमंत्री बने और इस बार उन्होंने आठ महीने तक देश का नेतृत्व किया। 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने फिर से सत्ता में वापसी की और 24 मई 2004 तक प्रधानमंत्री के रूप में अपनी सेवाएँ दीं।
अटल जी ने 16 अगस्त 2018 को इस दुनिया को अलविदा कहा, छोड़ते हुए एक अमिट छाप और एक स्थायी विरासत।

एक कहानी ऐसी भी…अमेरिका में डिज्नीलैंड पहुंच बन गए थे बच्चे

26 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी, जिन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपने प्रभावशाली कार्यकाल के दौरान देश को नेतृत्व प्रदान किया, अंदर से हमेशा एक मासूम बच्चे की तरह रहे।

एक दिलचस्प घटना 1993 की है, जब अटल जी अमेरिका की यात्रा पर गए थे। जब उन्हें कुछ खाली समय मिला, तो उन्होंने अपने बच्चेपन की भावना को जीवित रखते हुए ग्रांड कैन्यन और डिज़नीलैंड का दौरा किया। अटल जी ने बच्चों की तरह लाइन में लगकर टिकट खरीदी और उन जगहों का आनंद लिया, यह दिखाते हुए कि उनके दिल में एक निरंतर युवा और उत्साही आत्मा मौजूद थी।

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