Dog Family: कैनिडे (Canidae) या कुत्ते परिवार में भेड़िए, सियार, लोमड़ी और अन्य प्रजातियां शामिल हैं। इस परिवार में कुल तीस से अधिक जानवरों की प्रजातियां पाई जाती हैं। भारत में भी इस परिवार की कई प्रजातियां मौजूद हैं। लेकिन अक्सर लोग इन जानवरों के बीच का फर्क नहीं समझ पाते।
हाल ही में बहराइच में भेड़ियों द्वारा इंसानों पर हमलों की खबरों के बाद, कुछ लोगों ने सियार या कुत्तों को भेड़िया समझकर मारने की घटनाएं भी सामने आई हैं। इसलिए इन सभी जानवरों के बारे में जानना और पहचानना बहुत जरूरी है।इससे पहले हमें यह समझना होगा कि इंसानों और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष के कई कारण हो सकते हैं। भेड़िए सामान्यतः ‘शर्मीले’ होते हैं, लेकिन कुछ परिस्थितियों में वे आदमखोर बन सकते हैं।अब बात करते हैं ‘कुत्ते परिवार’ की। मानव और कुत्तों के बीच का संबंध लगभग 10,000 साल पुराना है। Archaeological सबूत बताते हैं कि लगभग 14,000 साल पहले इंसान और कुत्ते एक साथ दफनाए जाते थे। माना जाता है कि आदिमानव, भेड़िए की एक अब खत्म हो चुकी प्रजाति के साथ रहते थे, जो कुत्तों के पूर्वज माने जाते हैं।
इन जानवरों की पहचान करना और उनके स्वभाव को समझना, मानव-जानवर संघर्ष को कम करने में मदद कर सकता है। इसलिए जरूरी है कि हम इन जानवरों के बारे में सही जानकारी रखें और उन्हें समझें।
कैनिडे परिवार से संबंधित होने के कारण भेड़ियों, सियारों और लोमड़ियों में कई समानताएं होती हैं, जिससे वे एक-दूसरे के समान लग सकते हैं। लेकिन इनके बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर भी हैं, जिनका ध्यान रखना आवश्यक है। चलिए इनकी कुछ खासियतों पर नजर डालते हैं।
Dog Family: भारतीय भेड़ियों (Indian Wolves) की पहचान
भारत में ग्रे भेड़ियों की दो उप-प्रजातियां पाई जाती हैं: तिब्बतन वुल्फ और इंडियन वुल्फ।
1. तिब्बतन वुल्फ (tibetan wolf)
यह प्रजाति हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है। इनका फर ठंड के मौसम के अनुसार घना और अन्य प्रजातियों की तुलना में बड़ा होता है। लद्दाख क्षेत्र में, ये भेड़िये अक्सर लोगों के मवेशियों को अपना शिकार बना लेते थे, जिसके कारण स्थानीय लोग इन्हें पकड़ने के लिए शैंगडॉन्ग नामक एक पत्थर का संरचना बनाते थे। यह एक शंकु जैसे आकार का होता है, जिसका उपयोग भेड़ियों को मारने के लिए किया जाता था।
His Eminence Drukpa Thuksey Rinpoche has consecrated the 6th Shandong to Stupa initiative by the Nature Conservation Foundation. This was collectively constructed by Goba, members, villagers, particularly the Nyamsos Tsogs-pa, Gendun Tsogs-pa & entire stakeholders of the Markha. pic.twitter.com/Q5MGaaI9LC
— AIR News Leh (@prasarbharti) October 30, 2023
हालांकि, नेचर कंजरवेशन फाउंडेशन ने इस प्रजाति के संरक्षण के लिए एक अभियान चलाया है। उनका लक्ष्य स्थानीय लोगों को जागरूक करना और इन भेड़ियों की प्रजातियों को बचाना है। दरअसल, बाघों की तरह, इन भेड़ियों की भी कई प्रजातियों की संख्या में गिरावट आई है, जिससे ये संकट में हैं। इस प्रकार, भेड़ियों के संरक्षण और उनके स्वभाव को समझना न केवल उनके जीवन के लिए आवश्यक है, बल्कि मानव-जानवर संघर्ष को भी कम करने में मददगार हो सकता है।
2. इंडियन वुल्फ (Indian Wolf)
इंडियन वुल्फ मुख्यतः गंगा के मैदानी क्षेत्रों, गुजरात और राजस्थान में अधिक पाए जाते हैं। ये आमतौर पर छोटे समूहों में रहते हैं। इनका रंग भूरा और काले के मिश्रण जैसा होता है, और आकार में ये लोमड़ियों से बड़े होते हैं।
It’s not common to see an Indian Wolf in golden light. He’s a subadult with 4 siblings who are part of a larger pack that we’ve been observing this year.#wildworldindia #TwitterNatureCommunity #TwitterNaturePhotography #Rajasthan #travel #explore #conservation #wildlife #wolf pic.twitter.com/99AVOlTAFg
— Wild World India (@wildworldindia) June 7, 2024
इंडियन वुल्फ समूह में शिकार करने के लिए जाने जाते हैं। उनकी शिकार की तकनीक में वे अपने शिकार को दौड़ाकर थका देते हैं, जिसके बाद वे उसे आसानी से पकड़ लेते हैं। इस तरह से ये शिकार करते हैं, जिससे उन्हें अधिक सफलता मिलती है।
इस प्रकार, इंडियन वुल्फ की जीवनशैली और शिकार की तकनीक उनके अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं और उन्हें समझना इस प्रजाति के संरक्षण में मददगार हो सकता है।
3. गोल्डन जैकाल (Golden Jackal)
गोल्डन जैकाल, जिसे सुनहरा गीदड़ या सियार भी कहा जाता है, आकार में भेड़ियों के समान होते हैं, लेकिन ये भेड़ियों की तुलना में अधिक चतुर और चपल माने जाते हैं। इनका फर भेड़ियों की तरह घना नहीं होता। हालांकि ये दिन के समय कम दिखाई देते हैं, लेकिन गांवों में रात में इनकी आवाजें सुनाई देती हैं। भेड़ियों के मुकाबले इनका थूथन और सिर छोटा होता है।
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— Namal Kamalgoda (@Namalkamalgoda) August 22, 2024
गोल्डन जैकाल को अवसरवादी शिकारी माना जाता है, जो कभी-कभी दूसरों द्वारा मारे गए शिकार को खाते हैं। इसके अलावा, ये इंसानी बस्तियों के आसपास कचरे से भी अपना पेट भरते हैं। इस तरह, इनकी जीवनशैली और आदतें इन्हें अपने वातावरण में अच्छी तरह से ढालने में मदद करती हैं।
4. ‘चालाक’ लोमड़ी (The Indian Fox)
लोमड़ियां आमतौर पर कृषि क्षेत्रों और मानव बस्तियों के करीब देखी जाती हैं। ये आकार में अपेक्षाकृत छोटी होती हैं और इनकी पूंछ लंबी और झाड़ू जैसी होती है, जिसके सिरे पर काली धार होती है।
Bengal fox (Vulpes bengalensis), also known as the Indian fox, is endemic to the Indian subcontinent
– Banni Grassland, Gujarat, India
– February 2020#wilderness #wildindia #nature #wildlifephotography #wildindiaecotours #canon #fox #kutch #wildlife pic.twitter.com/Hsc19wPURm— Bhavesh Rathod (@bhaveshnr) March 11, 2020
लोमड़ियां छोटे जानवरों का शिकार करती हैं और इन्हें अवसरवादी शिकारी माना जाता है, जो परिस्थितियों के अनुसार अपना भोजन खोजती हैं। उनकी चतुराई और अनुकूलन क्षमता उन्हें अपने वातावरण में सफल होने में मदद करती है। इस तरह, चालाक लोमड़ी की आदतें और शिकार की रणनीतियां इसे अपने निवास स्थान पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम बनाती हैं।
5. ढोल (Dhole) या सोनकुत्ता
ढोल, जिसे सोनकुत्ता भी कहा जाता है, कैनिडे परिवार का एक हिस्सा है और इसे एशियाई जंगली कुत्ता भी कहा जाता है। हालांकि, ये घरेलू कुत्तों की श्रेणी में नहीं आते। ढोल आकार में घरेलू कुत्तों से छोटे होते हैं और ये आमतौर पर झुंडों में रहते हैं, जिनमें 20 सदस्य तक हो सकते हैं। इनकी पूंछ घनी और झाड़ू जैसी होती है, जिसके अंत में काली धार होती है। इनके कान गोल आकार के होते हैं।
भारत में पाए जाने वाले लकड़बग्घे को उसकी काली धारियों से पहचाना जा सकता है। इसके अलावा, भारतीय वन्य जीवन में लोमड़ी की अन्य प्रजातियां भी शामिल हैं, जो हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
यह जानना आवश्यक है कि ये जानवर जंगलों में रहना पसंद करते हैं, लेकिन जैसे-जैसे जंगलों का क्षेत्र कम होता जा रहा है और मानव बस्तियां बढ़ रही हैं, कई बार ये जानवर आबादी वाले इलाकों में भी आने को मजबूर हो जाते हैं। यदि कभी आपको इन जानवरों का सामना करना पड़े, तो अब आप उन्हें पहचानने में सक्षम होंगे।
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