Tuesday, December 24, 2024

Earthworm: क्या बारिश में आसमान से गिरते हैं केंचुए! आखिर बरसात में ही क्यों नजर आते हैं ये, यहां जानें वजह

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Earthworm: बरसात के मौसम में अक्सर हम देखते हैं कि धरती पर केंचुए नजर आने लगते हैं। कई बच्चों के मन में यह सवाल उठता है कि ये केंचुए कहां से आते हैं। मध्यप्रदेश के कुछ ग्रामीण इलाकों में यह धारणा है कि केंचुए बारिश के पानी के साथ गिरते हैं, लेकिन यह सच नहीं है। आइए जानते हैं कि आखिर केंचुए बारिश के मौसम में ही इतने क्यों दिखाई देते हैं और गर्मी व सर्दी में ये कहां गायब हो जाते हैं।

ऐसे आते हैं जमीन पर केंचुए

केंचुए जमीन की सबसे ऊपरी परत के नीचे पाए जाते हैं, जिसे ‘ह्यूमस’ कहा जाता है। बरसात के मौसम में जब बारिश होती है, तो मिट्टी की ऊपरी परत बह जाती है या हट जाती है, जिससे केंचुए और अन्य छोटे जीव-जंतु बाहर आ जाते हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह प्राकृतिक है और इसका बारिश के पानी से गिरने से कोई संबंध नहीं है।

 बारिश में ही क्यों आते हैं केंचुए?

यह सवाल स्वाभाविक है कि बारिश तो कभी-कभी सर्दी या गर्मी में भी होती है, फिर केंचुए इतनी संख्या में केवल बरसात में ही क्यों दिखाई देते हैं? इसका उत्तर यह है कि सर्दी और गर्मी के मौसम केंचुओं के लिए प्रतिकूल होते हैं। वे हाइबरनेशन अर्थात शीत निद्रा में चले जाते हैं और अपने अनुकूल मौसम आने पर ही बाहर आते हैं। यह प्रक्रिया सांप, मेंढक, छिपकली, और भालू जैसे अन्य प्राणियों में भी देखी जा सकती है।

 केंचुए का संक्षिप्त परिचय और उपयोगिता

हमारे देश में सामान्यतः पाए जाने वाले केंचुए का वैज्ञानिक नाम Pheretima Posthuma है। केंचुआ ऐनेलिडा संघ का सदस्य है और इसका शरीर कई खंडों का बना होता है। इसके शरीर पर कई वलय या रिंग जैसी रचनाएं होती हैं, और इसमें 100 से 120 तक खंड होते हैं। केंचुआ एक द्विलिंगी (बाइसेक्शुअल) प्राणी है, जिसमें नर और मादा जननांग एक ही शरीर में पाए जाते हैं।

कृषि में केंचुए की उपयोगिता

केंचुआ को किसान का मित्र कहा जाता है क्योंकि यह मिट्टी को उपजाऊ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इनकी मदद से बनाई गई खाद को वर्मी कंपोस्ट कहा जाता है और इनको पालने की विधि को वर्मी कल्चर कहते हैं। वर्मी कंपोस्ट मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में अत्यंत सहायक है, जिससे फसल की पैदावार में वृद्धि होती है।

केंचुओं का बरसात के मौसम में जमीन पर आना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो मिट्टी की ऊपरी परत के बहने से होती है। यह प्रक्रिया न केवल प्रकृति के चक्र को संतुलित रखती है बल्कि कृषि के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। केंचुओं की उपयोगिता को समझते हुए, हमें इन्हें संरक्षण और प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है, ताकि हमारा पर्यावरण और कृषि दोनों ही समृद्ध हो सकें।

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