Monday, December 23, 2024

शेख हसीना से भुट्टो तक…जानें किन किन राष्ट्रप्रमुखों को अपना ही देश छोड़ कर भागना पड़ा?

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बांग्लादेश में चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों की बढ़ती स्थिति के बीच, प्रधान मंत्री शेख हसीना ने 5 अगस्त को अपने पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर भाग गईं। बांग्लादेश में 5 जून से जारी हिंसा और अशांति ने हालात को काफी बिगाड़ दिया था। लंबे समय की राजनीतिक अस्थिरता और उथल-पुथल के बाद, एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया है।

इस लेख में, हम उन विश्व नेताओं के बारे में चर्चा करेंगे जिन्होंने शेख हसीना की तरह राजनीतिक संकट के कारण अपने देशों को छोड़ने पर मजबूर हुए।

बांग्लादेश: शेख हसीना

1971 में, शेख हसीना की सरकार ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को कई सिविल सेवा पदों पर आरक्षण देने का निर्णय लिया। इस कदम के खिलाफ पिछले महीने छात्रों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। हालांकि शेख हसीना की सरकार ने अधिकांश कोटा वापस ले लिया, लेकिन छात्रों ने अपनी विरोध की गतिविधियाँ जारी रखी।

विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई छात्र मारे गए और कई घायल हुए, और प्रदर्शनकारी शेख हसीना से इस्तीफा देने की मांग कर रहे थे। हालांकि, शेख हसीना के समर्थकों ने उनके इस्तीफे को पूरी तरह से नकार दिया। पिछले महीने के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद, जिसमें 200 से अधिक लोग मारे गए, शेख हसीना ने व्यवस्था बहाल करने के लिए सेना को बुलाया। सेना प्रमुख वकार-उज़-ज़मान ने बांग्लादेश की जनता की भावनाओं को देखते हुए शेख हसीना से इस्तीफा देने का अनुरोध किया। इसके परिणामस्वरूप, शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर भाग गईं।

श्रीलंका: गोटबाया राजपक्षे

जुलाई 2022 में, श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागने पर मजबूर होना पड़ा। इस संकट के पीछे श्रीलंका की गहराती आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता प्रमुख कारण थी। श्रीलंका पर विदेशी कर्ज़ का भारी बोझ था, जिसे चुकाने में असमर्थता के कारण देश की वित्तीय स्थिति बेहद कमजोर हो गई थी।

आर्थिक संकट ने देश में व्यापक विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया, और गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया। इस स्थिति से निपटने में असफल रहने के बाद, गोटबाया राजपक्षे ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया।

राजपक्षे पहले मालदीव पहुंचे और फिर सिंगापुर में शरण ली, जहां से उन्होंने औपचारिक रूप से इस्तीफा दिया। इस घटनाक्रम ने श्रीलंका में राजनीतिक उथल-पुथल और अस्थिरता की स्थिति को और भी स्पष्ट कर दिया।

अफगानिस्तान: अशरफ गनी

2021 में, जब अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान से वापसी की, तालिबान ने तेजी से देश पर कब्जा करना शुरू कर दिया। अफगान सरकार और सेना तालिबान को रोकने में असफल रही, और देश की राजनीतिक स्थिति बेहद अस्थिर हो गई। गनी सरकार पर काबुल और अन्य प्रमुख शहरों की सुरक्षा करने में विफल रहने का भारी दबाव था, जिससे सामाजिक और राजनीतिक तनाव बढ़ गया।

15 अगस्त 2021 को, तालिबान ने अफगान राष्ट्रपति महल पर कब्जा कर लिया और तालिबान शासन की शुरुआत कर दी। राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अपने परिवार को खतरे से बचाने के लिए देश छोड़ने का फैसला किया और संयुक्त अरब अमीरात में शरण ली। काबुल पर तालिबान के कब्जे और सरकार के पतन के चलते, गनी ने अपने भागने का विकल्प चुना, ताकि खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित किया जा सके।

पाकिस्तान: बेनज़ीर भुट्टो

बेनज़ीर भुट्टो ने दो बार पाकिस्तान की सत्ता संभाली, लेकिन दोनों ही बार उन पर और उनके पति आसिफ अली जरदारी पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। 1996 में, उनके दूसरे कार्यकाल के दौरान, राष्ट्रपति फारूक अहमद खान लघारी ने भ्रष्टाचार और खराब शासन के आरोपों के चलते उन्हें पद से हटा दिया।

सरकार के पतन के बाद, बेनज़ीर भुट्टो और उनके पति पर कानूनी कार्रवाई शुरू हुई, और उन्हें सजा की धमकी दी गई। इस दबाव के चलते, बेनज़ीर भुट्टो ने देश छोड़ने का निर्णय लिया और 1999 में विदेश में आत्मसमर्पण कर दिया।

पाकिस्तान: नवाज़ शरीफ़

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को दो बार देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। पहली बार, 1999 में, कारगिल युद्ध के बाद, जब नवाज शरीफ ने तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ को हटाने का प्रयास किया। इस कदम की जानकारी मिलते ही मुशर्रफ ने शरीफ को हिरासत में लेकर जेल में डाल दिया और बाद में उन्हें 10 साल के लिए सऊदी अरब भेज दिया गया।

2007 में, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शरीफ अपने परिवार के साथ पाकिस्तान लौटे और 2013 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। लेकिन पनामा पेपर्स लीक में उनका नाम आने के बाद उनकी समस्याएँ बढ़ गईं। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें आजीवन किसी भी सरकारी पद को संभालने से रोक दिया। जुलाई 2018 में, आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई। हालाँकि, शरीफ ने पाकिस्तान छोड़कर सऊदी अरब में शरण ली।

पाकिस्तान: परवेज़ मुशर्रफ

2013 में, नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन ने चुनाव जीतकर सत्ता में आई और शरीफ सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज कराया। मुशर्रफ को 31 मार्च 2014 को आरोपित किया गया, लेकिन 18 मार्च 2016 को इलाज के लिए दुबई भाग गए। परवेज़ मुशर्रफ, पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख और राष्ट्रपति, एक विवादास्पद और महत्वपूर्ण नेता रहे हैं। उनके शासन के दौरान, 2007 में जस्टिस इफ्तिखार चौधरी को बर्खास्त करने जैसे कई विवादास्पद फैसले लिए गए, जिन्होंने काफी विवाद उत्पन्न किया।

बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद, मुशर्रफ की साख को गंभीर धक्का लगा। इस घटना और इसके परिणामस्वरूप मुशर्रफ पर भारी दबाव बना। 2008 के विधानसभा चुनाव में मुशर्रफ के समर्थक हार गए, और नवाज शरीफ तथा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की गठबंधन सरकार बनी। इससे मुशर्रफ राजनीतिक रूप से कमजोर हो गए।

अंततः, 2008 में परवेज़ मुशर्रफ ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद, जनता में बढ़ते आक्रोश और संभावित कानूनी कार्रवाई के डर से, मुशर्रफ को पाकिस्तान से भागना पड़ा।

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