Monday, December 23, 2024

History of Halwa:अरब में पैदा हुआ हलवा ईरान के रास्ते कैसे पहुंचा भारत, लोकसभा में क्यों बना मुद्दा ?

Published:

History of Halwa: संसद के मानसून सत्र में, विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बजट पर बहस के दौरान एक खास मुद्दे को उठाया। उन्होंने हलवा समारोह की एक तस्वीर दिखाई और कहा कि इसमें कोई ओबीसी, आदिवासी या दलित अधिकारी नहीं दिख रहा है। उन्होंने टिप्पणी की, “बजट का हलवा बंट रहा है, लेकिन देश को हलवा नहीं मिल रहा।” आइए जानते हैं कि हलवा कैसे भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा बन गया।

‘हलवा’ शब्द अरबी भाषा के ‘हुलाव’ से आया है,

‘हलवा’ शब्द अरबी भाषा के ‘हुलाव’ से आया है,जिसका मतलब मीठा होता है। शुरुआत में, यह मिठाई खजूर के पेस्ट और दूध से बनाई जाती थी। आज भी, अरब देशों में खास मेहमानों को ओमानी हलवा परोसा जाता है, जो स्टार्च, अंडे, चीनी, मेवे और घी से बनाया जाता है। पश्चिम एशिया में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे हलवा, हलेवे, हेलवा।

हलवा बनाने की शुरुआत पर कई तर्क और दावे हैं।

हलवा बनाने की शुरुआत पर कई तर्क और दावे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हलवा सबसे पहले तुर्की में बनाया गया था। इस्तांबुल के दुकानदारों का दावा है कि हलवे की सबसे पुरानी रेसिपी उनके पास है। ‘हिस्टोसिकल डिक्शनरी ऑफ इंडियन फूड’ के अनुसार, हलवा का पहली बार अंग्रेजी भाषा में उपयोग तुर्की मिठाई के लिए किया जाता था, जो पिसे हुए तिल और शहद से बनती थी।

हलवे की पहली रेसिपी 13वीं सदी की अरबी किताब ‘किताब-अल-ताबीक’ में मिलती है।

हलवे की पहली रेसिपी 13वीं सदी की अरबी किताब ‘किताब-अल-ताबीक’ में मिलती है। इसमें आठ तरह की हलवा रेसिपी दी गई हैं। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि हलवे की उत्पत्ति ओटोमन साम्राज्य के सुल्तान सुलेमान (1520-1566) की रसोई में हुई थी। सुल्तान को हलवा इतना पसंद था कि उसने हलवे के लिए एक अलग रसोईघर बनवाया था, जिसे हेलवाहने या स्वीट रूम कहा जाता था।

भारत में हलवा दिल्ली सल्तनत के दौरान आया।

भारत में हलवा दिल्ली सल्तनत के दौरान आया। ‘फीस्ट्स एंड फॉस्ट्स’ के अनुसार, भारत में हलवा 13वीं से 16वीं सदी के बीच आया। हलवा का उल्लेख ‘निमतनामा’ या ‘द बुक ऑफ डिलाइट्स’ में मिलता है, जो 1500 में मालवा के सुल्तान के लिए लिखा गया था।

लखनऊ के इतिहासकार अब्दुल हलीम शरर ने अपनी किताब ‘गुजिश्ता लखनऊ’ में लिखा है कि

लखनऊ के इतिहासकार अब्दुल हलीम शरर ने अपनी किताब ‘गुजिश्ता लखनऊ’ में लिखा है कि हलवा फारस के रास्ते अरब देशों से भारत आया। जबकि इतिहासकार लिली स्वार्न का मानना है कि हलवा सीरिया और अफगानिस्तान के रास्ते भारत आया। उनकी किताब ‘डिफरेंट ट्रूथ’ के अनुसार, 16वीं सदी में मुगल बादशाहों की रसोई से हलवा पूरे भारत में लोकप्रिय हो गया।

गाजर के हलवे को भारत में लोकप्रिय बनाने में मुगलों का महत्वपूर्ण योगदान था।

गाजर के हलवे को भारत में लोकप्रिय बनाने में मुगलों का महत्वपूर्ण योगदान था। गाजर सबसे पहले फारस और अफगानिस्तान से भारत लाई गई थी। मुगल साम्राज्य के संस्थापक की बेटी गुलबदन बेगम अपने “हलवा-ए जरदक” (गाजर का हलवा) के लिए जानी जाती थीं। मुगल काल के दौरान गाजर का हलवा बड़े पैमाने पर लोकप्रिय हुआ और आज यह भारतीय व्यंजनों का एक अहम हिस्सा बन चुका है।
Read More:

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

नवीनतम पोस्ट