Internet Shut Down: मणिपुर में हालात एक बार फिर बेहद हिंसक हो गए हैं, और इसके चलते राज्य सरकार ने मंगलवार को पांच दिनों के लिए इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया। भारत में इंटरनेट का उपयोग लगातार बढ़ रहा है, लेकिन साथ ही इसके शटडाउन की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। देश के लिए यह एक चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि भारत में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक इंटरनेट शटडाउन होते हैं।
Internet Shut Down: 2023 में भारत की इंटरनेट शटडाउन की स्थिति
पिछला वर्ष, 2023, भारत के लिए इंटरनेट आउटेज के मामले में सबसे बुरा साबित हुआ। इस वर्ष भी हालात में कोई खास सुधार नजर नहीं आ रहा है। #KeepItOn द्वारा Access Now पर जारी रिपोर्ट के अनुसार, 39 देशों में कुल 283 बार इंटरनेट शटडाउन हुआ, और भारत इस सूची में सबसे ऊपर है। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि सिकुड़ते लोकतंत्र और बढ़ती हिंसा के कारण इंटरनेट सेवाओं को बार-बार बंद किया गया। यह आंकड़ा 2016 में निगरानी शुरू होने के बाद से अब तक का सबसे बड़ा है, जो देश की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाता है।
Internet Shut Down: जम्मू-कश्मीर और मणिपुर में इंटरनेट शटडाउन की स्थिति
जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट शटडाउन की घटनाओं की संख्या 2022 में 49 थी, जो 2023 में घटकर 17 हो गई है। हालांकि, मणिपुर में स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है। पिछले साल और इस साल मणिपुर में इंटरनेट शटडाउन की घटनाएं में कोई खास अंतर नहीं आया है, जो स्थानीय जनता के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा कर रहा है।
इस प्रकार, भारत में इंटरनेट शटडाउन की उच्च दर और इसकी लगातार बढ़ती घटनाएं एक गंभीर चिंता का विषय हैं। यह न केवल नागरिकों की डिजिटल स्वतंत्रता पर असर डालती है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
Internet Shut Down: मणिपुर में इंटरनेट शटडाउन की गंभीर स्थिति
मणिपुर में हिंसा की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है। इस गंभीर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, साल 2023 में कई बार इंटरनेट सेवाएं बंद की गईं। इस साल, 3 मई, 25 जुलाई, 23 सितंबर, 26 सितंबर, 10 नवंबर, 19 नवंबर, 2 दिसंबर, और 18 दिसंबर को राज्य में इंटरनेट पूरी तरह से बंद कर दिया गया। इसके अलावा, 2024 में भी इंटरनेट शटडाउन की घटनाएं जारी रही हैं, जिसमें 16 फरवरी, 24 फरवरी, और 10 सितंबर को इंटरनेट सेवाओं को बंद किया गया। मणिपुर की स्थिति को देखते हुए, भविष्य में भी इंटरनेट बाधित किया जा सकता है, जिससे स्थानीय लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
Internet Shut Down: भारत में इंटरनेट आउटेज की चिंताजनक स्थिति
साल 2023 में भारत ने सबसे खराब इंटरनेट आउटेज की स्थिति का सामना किया। पिछले पांच वर्षों में, भारतीय अधिकारियों ने 500 से अधिक बार इंटरनेट सेवाएं बाधित की हैं, जिससे करोड़ों लोगों को परेशानी उठानी पड़ी। मणिपुर में, मई से दिसंबर के बीच लगभग 32 लाख लोगों को 212 दिनों तक इंटरनेट की समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, पांच दिन या उससे अधिक समय तक इंटरनेट बंद रहने की घटनाओं की संख्या 2022 में 15% से बढ़कर 2023 में 41% हो गई है। विशेष रूप से, 59% आउटेज मोबाइल नेटवर्क को लक्षित करते हैं, जबकि भारत में लगभग 96% इंटरनेट उपयोगकर्ता वायरलेस सेवाओं पर निर्भर हैं।
Internet Shut Down: भारत की तुलना में अन्य देशों में इंटरनेट शटडाउन
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इंटरनेट शटडाउन की घटनाएं अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक हैं। 2023 में, पाकिस्तान में 7 बार, फिलिस्तीन में 16 बार, ईरान में 34 बार, इराक में 6 बार, युद्धग्रस्त यूक्रेन में 8 बार, और म्यांमार में 37 बार इंटरनेट बंद किया गया। इसके अतिरिक्त, दुनिया के अन्य देशों में कुल 59 बार इंटरनेट शटडाउन हुआ। इससे स्पष्ट है कि भारत में पिछले साल सबसे अधिक इंटरनेट शटडाउन की घटनाएं देखी गई हैं, जो देश के डिजिटल अधिकारों और नागरिकों की आज़ादी पर गंभीर असर डालती हैं।
Internet Shut Down: एक गंभीर स्थिति
जब कोई गंभीर स्थिति उत्पन्न होती है, जैसे कि सामाजिक उथल-पुथल या सुरक्षा का संकट, तब इंटरनेट शटडाउन एक आम उपाय बन सकता है। भारत में, ऐसे शटडाउन के लिए कई कानूनी प्रावधान हैं जो अत्यधिक गंभीर परिस्थितियों में लागू होते हैं।
Internet Shut Down: भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885
भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 5(2) के तहत, अगर कोई सार्वजनिक आपातकाल या सुरक्षा का संकट उत्पन्न होता है, तो संघ या राज्य के गृह सचिव को इंटरनेट और अन्य टेलीग्राफ सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित करने का आदेश देने का अधिकार होता है। यह आदेश बहुत गंभीर स्थिति में ही जारी किया जाता है, और इसके लिए गृह सचिव को अधिकृत किया गया है। इस आदेश की समीक्षा पांच दिनों के भीतर एक समिति द्वारा की जाती है, और यह शटडाउन 15 दिनों से अधिक समय तक नहीं चल सकता। आपातकालीन स्थितियों में, गृह सचिव द्वारा अधिकृत वरिष्ठ अधिकारी (जैसे कि संयुक्त सचिव) इस आदेश को जारी कर सकते हैं।
Internet Shut Down: दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत, जिला मजिस्ट्रेट, उप-मंडल मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार द्वारा विशेष रूप से सशक्त किसी अन्य कार्यकारी मजिस्ट्रेट को किसी भी उपद्रव या सार्वजनिक शांति में विघ्न को रोकने के लिए आदेश देने का अधिकार होता है। इस धारा के तहत, विशेष क्षेत्रों में निर्दिष्ट समय के लिए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित किया जा सकता है, जिससे कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने में मदद की जा सके।
इंटरनेट शटडाउन, जो कि आजकल की डिजिटल दुनिया में एक गंभीर और प्रभावशाली कदम है, लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर गहरा असर डालता है। यह न केवल संवाद के साधनों को बाधित करता है, बल्कि सूचना की पहुँच को भी सीमित करता है। जब हम देखते हैं कि कोई सरकार या प्रशासन ऐसे आदेश जारी करती है, तो इसके पीछे की चिंताओं और सुरक्षा के मुद्दों को समझना महत्वपूर्ण है। हालांकि यह कदम कभी-कभी विवादित हो सकता है, यह आमतौर पर सुरक्षा और शांति की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उठाया जाता है।
इन कानूनी प्रावधानों के तहत उठाए गए कदम, जिनमें इंटरनेट शटडाउन शामिल है, एक संतुलन बनाने की कोशिश करते हैं – एक ओर, समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने की कोशिश करते हैं, और दूसरी ओर, लोगों की आज़ादी और सूचना तक पहुँच पर प्रभाव डालते हैं। यह एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है, और इसकी गंभीरता को समझना और इसका उचित संतुलन बनाना हर नागरिक और प्रशासन की जिम्मेदारी है।
Internet Shut Down: इंटरनेट शटडाउन के प्रभाव
जब सरकारें या प्रशासन इंटरनेट शटडाउन का कदम उठाती हैं, तो इसके कई दूरगामी और गंभीर प्रभाव होते हैं। यहाँ इस समस्या के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से विचार किया गया है:
Internet Shut Down: मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट ने राज नारायण बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (1975) के मामले में सूचना के अधिकार को भी अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी है। इंटरनेट शटडाउन इस अधिकार की भी गंभीर अनदेखी करता है। इसके अलावा, केरल उच्च न्यायालय ने फहीमा शिरीन बनाम केरल राज्य मामले में इंटरनेट को अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया है। इसलिए, इंटरनेट शटडाउन न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बल्कि जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का भी उल्लंघन करता है।
Internet Shut Down: आर्थिक परिणाम
Internet Shut Down: शिक्षा में व्यवधान
शैक्षणिक संस्थान आजकल ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं। इंटरनेट शटडाउन के कारण, छात्रों को अपनी पढ़ाई में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। यह शिक्षा के समग्र ढांचे को प्रभावित करता है और छात्रों की भविष्य की संभावनाओं पर प्रतिकूल असर डालता है।
Internet Shut Down: विश्वास और सेंसरशिप की चिंताएँ
जब इंटरनेट बंद कर दिया जाता है, तो यह सरकार और अधिकारियों पर भरोसे को कमजोर कर देता है। इसके साथ ही, सेंसरशिप और पारदर्शिता की कमी की चिंताएँ भी बढ़ जाती हैं। नागरिकों को लगता है कि उनकी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जा रहा है, जिससे समाज में असंतोष और विश्वास की कमी होती है।
Internet Shut Down: आपदा प्रतिक्रिया में बाधा
आपातकालीन स्थितियों और संकटों के दौरान, इंटरनेट शटडाउन संचार और समन्वय में बाधा डालता है। संयुक्त राष्ट्र समर्थित रिपोर्टों के अनुसार, इस तरह के शटडाउन से मानवीय सहायता और सूचना प्रवाह में रुकावट आती है, जिससे लोगों की सुरक्षा और कल्याण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
Internet Shut Down: स्वास्थ्य देखभाल में व्यवधान
इंटरनेट शटडाउन का स्वास्थ्य देखभाल पर भी महत्वपूर्ण असर होता है। आपातकालीन चिकित्सा देखभाल, दवाओं की आपूर्ति, और स्वास्थ्य कर्मियों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान प्रभावित होता है। इससे तत्काल चिकित्सा सहायता में बाधा उत्पन्न होती है, जो जीवन और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
Internet Shut Down: अंतर्राष्ट्रीय परिणाम
इंटरनेट शटडाउन की वजह से भारत की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा पर भी असर पड़ता है। दुनिया भर में शटडाउन के मामलों में भारत का स्थान चिंता का विषय है। अमेरिकी डिजिटल अधिकार वकालत समूह एक्सेस नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 की पहली छमाही में वैश्विक शटडाउन के 58% मामले भारत में हुए। इससे देश की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को नुकसान हो सकता है।
Internet Shut Down: पत्रकारिता और रिपोर्टिंग पर प्रभाव
पत्रकार इंटरनेट पर निर्भर रहते हैं ताकि वे घटनाओं की रिपोर्टिंग कर सकें और जनता को सूचित कर सकें। शटडाउन से उनकी सूचना एकत्र करने और प्रसारित करने की क्षमता प्रभावित होती है, जो जनता के जानने के अधिकार से समझौता करता है। प्रेस की स्वतंत्रता का अधिकार, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन एक्सप्रेस बनाम भारत संघ (1986) और बेनेट कोलमैन बनाम भारत संघ (1972) मामलों में मान्यता दी है, भी इससे प्रभावित होता है।
इंटरनेट शटडाउन केवल तकनीकी या प्रशासनिक उपाय नहीं है, बल्कि यह समाज के हर पहलू पर गहरा असर डालता है। इसके प्रभाव न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आर्थिक स्थिति पर पड़ते हैं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को भी प्रभावित करते हैं। यह स्थिति स्पष्ट करती है कि हमें इंटरनेट की स्वतंत्रता और उसके महत्व को समझना और उसकी रक्षा करनी चाहिए।
Internet Shut Down: पक्ष और विपक्ष के तर्क
Internet Shut Down: पक्ष में तर्क
घृणास्पद भाषण और फ़र्जी ख़बरों को रोकना: इंटरनेट शटडाउन की एक बड़ी वजह यह है कि यह समाज में नफरत फैलाने वाले भाषण और झूठी खबरों के प्रसार को रोकने में मदद कर सकता है। जब गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसान आंदोलन के बाद भ्रामक सूचनाएं फैलने लगीं, तो सरकार ने इंटरनेट बंद करने का फैसला किया ताकि दंगे और हिंसा को रोका जा सके।
विरोध प्रदर्शनों पर नियंत्रण: जब सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा को खतरा होता है, तो इंटरनेट शटडाउन विरोध प्रदर्शनों के आयोजन और लामबंदी को नियंत्रित करने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद कश्मीर में इंटरनेट बंद कर दिया गया ताकि राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों और अलगाववादी आंदोलनों को रोका जा सके।
राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा: इंटरनेट शटडाउन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है। जब चीन के साथ सीमा पर तनाव बढ़ा, तो कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया ताकि जासूसी या साइबर हमलों को रोका जा सके।
हानिकारक सामग्री पर नियंत्रण: इंटरनेट शटडाउन से ऐसे सामग्री की पहुंच को भी नियंत्रित किया जा सकता है जो कुछ लोगों के लिए हानिकारक या आपत्तिजनक हो सकती है। उदाहरण के लिए, आपत्तिजनक छवियों या वीडियो के प्रसार को रोकने के लिए कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट को बंद कर दिया गया।
Internet Shut Down: विपक्ष में तर्क
लोकतंत्र और जवाबदेही को कमजोर करना: इंटरनेट शटडाउन से लोकतंत्र को गंभीर नुकसान हो सकता है। इससे नागरिकों को जानकारी हासिल करने, अपनी राय व्यक्त करने, और सार्वजनिक बहस में भाग लेने का मौका नहीं मिलता। यह अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने की प्रक्रिया को भी कमजोर करता है।
सत्तावादी सरकारों को बढ़ावा: कुछ आलोचकों का कहना है कि इंटरनेट शटडाउन सत्तावादी सरकारों को आलोचकों को चुप कराने और सच्चाई को दबाने में मदद करता है। इससे विकृत सूचना का प्रचार हो सकता है जो लोकतंत्र की नींव को कमजोर करता है।
अप्रभावी और अनुत्पादक: इंटरनेट शटडाउन का तर्क यह है कि यह समस्या के मूल कारणों को नहीं सुलझाता। इससे हिंसा और आतंकवाद नहीं रुकते, बल्कि प्रभावित लोगों में गुस्सा और आक्रोश बढ़ता है।
गलत सूचना का अभाव: इंटरनेट बंद होने से सूचना का अभाव होता है, जिसका फायदा दुर्भावनापूर्ण तत्व उठा सकते हैं। इससे गलत सूचना और घृणास्पद भाषण पर नियंत्रण नहीं होता, बल्कि यह और भी बढ़ सकते हैं।
मनमानी और दुरुपयोग की संभावना: इंटरनेट शटडाउन अक्सर मनमाने ढंग से लागू किए जाते हैं और इनका दुरुपयोग किया जा सकता है। स्थानीय अधिकारियों द्वारा बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के शटडाउन का आदेश देना सामान्य है, जिससे मानवाधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।
Internet Shut Down: Internet Shut Down से निपटने के उपाय
कानूनी और नियामक ढांचे को मजबूत करना: इंटरनेट शटडाउन के नियंत्रण के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उनका उपयोग केवल अंतिम उपाय के रूप में किया जाए।
प्राधिकारियों की जवाबदेही बढ़ाना: शटडाउन के आदेश देने वाले प्राधिकारियों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना आवश्यक है। प्रभावित लोगों को प्रभावी उपाय और संसाधन उपलब्ध कराना भी महत्वपूर्ण है।
वैकल्पिक उपायों पर विचार: शटडाउन के बजाय, सरकार को कम हस्तक्षेप वाले उपायों पर विचार करना चाहिए, जैसे विशिष्ट वेबसाइटों को ब्लॉक करना, नागरिक समाज और मीडिया के साथ संवाद करना, या सुरक्षा बलों को तैनात करना।
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन: सुप्रीम कोर्ट ने अनुराधा भसीन मामले में निर्देश दिए हैं कि इंटरनेट निलंबन केवल अस्थायी अवधि के लिए होना चाहिए और इसे न्यायिक समीक्षा के अधीन होना चाहिए। इन दिशा-निर्देशों का पालन करके शटडाउन के दुरुपयोग को कम किया जा सकता है।
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