Sunday, December 22, 2024

JRD TATA Advice To Ratan Tata: चाचा की सलाह पर रतन टाटा ने ठुकराया था बड़ी कंपनी का ऑफर, फिर खड़ा किया बिजनेस एम्पायर

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JRD TATA Advice To Ratan Tata:रतन टाटा आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें और उनके विचार देश के 140 करोड़ लोगों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे। वह न केवल एक दिग्गज उद्योगपति थे, बल्कि एक साधारण जीवन जीने वाले व्यक्ति भी थे। दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में से एक होते हुए भी, उन्होंने कभी भी अरबपतियों की सूची में स्थान नहीं बनाया।

JRD TATA Advice To Ratan Tata: साधारण जीवन का अनूठा उदाहरण

टाटा समूह के पास छह महाद्वीपों में फैली 30 से अधिक कंपनियों का स्वामित्व था, लेकिन रतन टाटा ने हमेशा अपनी शालीनता और ईमानदारी के साथ एक विशिष्ट छवि बनाई। उनका साधारण व्यक्तित्व और मानवता के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें एक अद्वितीय स्थान दिलाया।

JRD TATA Advice To Ratan Tata: शिक्षा और करियर की शुरुआत

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रतन टाटा ने 1962 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, न्यूयॉर्क से आर्किटेक्चर में बीएस की डिग्री प्राप्त की। इस डिग्री के बाद, उन्हें आईबीएम जैसी अग्रणी कंपनी से नौकरी का प्रस्ताव मिला। लेकिन अपने चाचा जेआरडी टाटा के आग्रह पर, उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। जेआरडी टाटा चाहते थे कि वह पारिवारिक व्यवसाय को समझें और उसे संभालें।

JRD TATA Advice To Ratan Tata: टाटा समूह में यात्रा की शुरुआत

JRD TATA Advice To Ratan Tata
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रतन टाटा ने अपने देश लौटकर अपने चाचा की सलाह मानी और टाटा समूह में शामिल हो गए। शुरुआत में उन्होंने एक कंपनी में काम किया और टाटा समूह के विभिन्न व्यवसायों का अनुभव प्राप्त किया। 1971 में उन्हें नेशनल रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी का प्रभारी निदेशक नियुक्त किया गया। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

रतन टाटा ने समूह की कई कंपनियों में सुधार किए और नए, प्रतिभाशाली युवाओं को आगे लाने की कोशिश की। इस प्रयास से समूह की कई कंपनियों ने सफलता की नई कहानियां लिखना शुरू किया। उन्होंने देश और दुनिया की कंपनियों के लिए नए दरवाजे खोलने का काम किया, जिससे टाटा समूह ने एक नया इतिहास रचा।

रतन टाटा की यात्रा केवल व्यक्तिगत सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि उनके नेतृत्व में टाटा समूह की सामूहिक सफलता की भी कहानी है। उनका योगदान सदैव याद रखा जाएगा।

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एक दशक बाद, रतन टाटा ने टाटा इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष का पद संभाला और 1991 में अपने चाचा जेआरडी टाटा से टाटा समूह के अध्यक्ष का पद ग्रहण किया। जेआरडी टाटा ने इस पद पर पांच दशकों से अधिक समय तक कार्य किया। यह वर्ष भारत के लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि इसी समय देश ने अपनी अर्थव्यवस्था को खोला। टाटा समूह, जो 1868 में एक छोटी कपड़ा और व्यापारिक फर्म के रूप में शुरू हुआ था, ने खुद को नमक से लेकर स्टील, कारों और सॉफ्टवेयर तक हर क्षेत्र में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित किया।

JRD TATA Advice To Ratan Tata: ऐतिहासिक मील के पत्थर

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रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा समूह ने कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं। समूह का राजस्व और मुनाफा नई ऊंचाइयों पर पहुंचा। यह वह समय था जब टाटा ने न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी उपस्थिति को मजबूत किया।

JRD TATA Advice To Ratan Tata: वैश्विक अधिग्रहणों की श्रृंखला

रतन टाटा ने दो दशकों से अधिक समय तक टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, जिसके दौरान समूह ने तेजी से विस्तार किया। उन्होंने 2000 में 431.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर में लंदन स्थित टेटली टी का अधिग्रहण किया और 2004 में दक्षिण कोरिया की देवू को अपने अधिग्रहण में शामिल किया। इसके अलावा, उन्होंने एंग्लो-डच स्टील निर्माता कोरस ग्रुप को 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर में और प्रसिद्ध ब्रिटिश कार ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को फोर्ड मोटर कंपनी से 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में खरीदा।

JRD TATA Advice To Ratan Tata: परोपकार की दिशा में कदम

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भारत के सबसे सफल व्यवसायियों में से एक होने के साथ-साथ, रतन टाटा अपनी परोपकारी गतिविधियों के लिए भी प्रसिद्ध थे। उनका परोपकार में व्यक्तिगत योगदान बहुत पहले से ही शुरू हो चुका था। 1970 के दशक में, उन्होंने आगा खान अस्पताल और मेडिकल कॉलेज परियोजना की शुरुआत की, जिसने भारत के प्रमुख स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों में से एक की नींव रखी।

JRD TATA Advice To Ratan Tata
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रतन टाटा की नेतृत्व शैली और सामाजिक दायित्वों के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बना दिया, और उनका योगदान भारतीय व्यवसाय जगत में सदैव याद रखा जाएगा।

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