Monday, December 23, 2024

Kala Bhairava Jayanti 2024: आज भैरव जयंती के साथ बन रहे 3 शुभ योग का संयोग, जानें पूजा, अनुष्ठान और शुभ तिथि

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हिंदू कैलेंडर के अनुसार, काल भैरव जयंती 2024 मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाएगी। इस दिन को विशेष रूप से भगवान शिव के रूद्र रूप काल भैरव का जन्म दिवस माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि काल भैरव भगवान शिव के एक उग्र और भयानक रूप के रूप में पूजे जाते हैं, जो हर प्रकार के दोष और संकट को दूर करने में सक्षम माने जाते हैं। काल भैरव जयंती पर विशेष पूजा-अर्चना करने से रोगों, संकटों और दोषों से मुक्ति मिलती है, साथ ही यह दिन सुख-समृद्धि और शांति का कारण बनता है।

काल भैरव जयंती शुभ मुहूर्त 2024:

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 नवंबर 2024 को शाम 6 बजे से प्रारंभ हो रही है और यह तिथि 23 नवंबर 2024 को सुबह 7:57 बजे तक रहेगी। इसलिए 22-23 नवंबर 2024 की रात को काल भैरव जयंती मनाई जाएगी।

काल भैरव जयंती के साथ शुभ योग का संयोग:

इस साल काल भैरव जयंती पर खास शुभ योग का संयोग बन रहा है। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस दिन तीन महत्वपूर्ण शुभ योग एक साथ बनेंगे:
रवि योग
ब्रह्म योग
इंद्र योग
इन तीन योगों के मिलने से काल भैरव जयंती 2024 का महत्व और भी बढ़ जाता है। इन शुभ योगों के प्रभाव से यह दिन विशेष रूप से सभी प्रकार के कार्यों के लिए शुभ रहेगा और भगवान काल भैरव की कृपा से रोग, दोष और कष्टों से मुक्ति प्राप्त होगी।

काल भैरव जयंती पूजा विधि 2024:

काल भैरव जयंती के दिन विशेष पूजा अनुष्ठान किए जाते हैं। इनका उद्देश्य भगवान शिव के रूद्र रूप काल भैरव को प्रसन्न करना और जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और दोषों से मुक्ति प्राप्त करना है। पूजा विधि निम्नलिखित है:

स्नान और सूर्योदय से पहले उठना:

काल भैरव जयंती की पूजा सूर्योदय से पहले करनी चाहिए। इस दिन स्नान कर शुद्ध होकर पूजा स्थल पर जाएं।

सूर्य देव को अर्घ्य देना:

सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य दें और भगवान शिव के नाम का स्मरण करें। यह कार्य पवित्रता और ऊर्जा का संचार करता है।

भगवान शिव की पूजा:

भगवान शिव को रुद्र रूप में पूजें। उन्हें फूल, माला, जल, दूध, और बिल्व पत्र अर्पित करें।

दीपक जलाना:

पूजा स्थल पर दीपक रखें और उसे जलाएं। दीपक का प्रकाश, नकारात्मकता को नष्ट करता है और वातावरण में शुभता का संचार करता है।

प्रसाद चढ़ाना:

भगवान शिव को प्रसाद चढ़ाएं। इसमें विशेष रूप से तिल, तंबाकू, मदिरा, या सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है, क्योंकि काल भैरव को इन चीजों का प्रिय माना जाता है।

आरती और भजन:

इस दिन आरती करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। काल भैरव आरती का पाठ करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके साथ ही भजन और कीर्तन भी करें जिससे भक्तिमार्ग की ओर कदम बढ़े और काल भैरव की कृपा प्राप्त हो।

प्रसाद का वितरण:

पूजा के बाद प्रसाद बांटें। यह पुण्य का कार्य होता है और दूसरों के लिए भी शुभता का कारण बनता है।

काल भैरव जयंती के महत्व:

काल भैरव जयंती पर विशेष रूप से रात्रि को पूजा करना और आधी रात को रुद्राभिषेक करना शास्त्रों में अत्यधिक फलदायी माना गया है। माना जाता है कि इस दिन रात्रि के समय पूजा करने से हर प्रकार के रोग, दोष और संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में समृद्धि आती है। विशेष रूप से इस दिन आध्यात्मिक उन्नति होती है और व्यक्ति को जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
काल भैरव का व्रत और पूजा विशेष रूप से कानून, न्याय, यात्रा, और सुरक्षा से जुड़े मामलों में सफलता दिलाती है। इस दिन किए गए अनुष्ठान से व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन में शांति बनी रहती है।
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