Monday, December 23, 2024

Nagpanchami 2024: नाग पंचमी पर तवा चढ़ाना और चूल्हे पर रोटी बनाना क्यों है वर्जित? जानें धार्मिक और वैज्ञानिक वजह

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Nagpanchami 2024: नाग पंचमी, जो 9 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जिसमें नाग देवता की पूजा की जाती है। यह दिन विशेष रूप से भगवान शिव के गले में विराजमान नाग देवता की आराधना के लिए समर्पित है। परंपराओं के अनुसार, इस दिन घर में तवा चढ़ाना और चूल्हे पर रोटी पकाना वर्जित माना जाता है।

आइए जानते हैं इस अनोखी परंपरा के पीछे की वजहें और मान्यताएं:

तवा चढ़ाना और चूल्हे पर रोटी बनाना: क्यों है वर्जित?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नाग पंचमी के दिन चूल्हे पर तवा नहीं चढ़ाया जाता और रोटी नहीं बनाई जाती। इसके पीछे एक रोचक कारण है: तवे को सांप के फन का प्रतिरूप माना जाता है। यह विश्वास है कि जब तवे को आग पर रखा जाता है, तो यह सांप के फन को अपमानित करने जैसा होता है। इसी प्रकार, चावल का संबंध नाग देवता के दांत से जोड़ा जाता है, इसलिए इस दिन चावल बनाना भी वर्जित माना जाता है।

नाग पंचमी के दिन किन चीजों से बचना चाहिए?

नाग पंचमी के दिन कुछ विशेष कार्य वर्जित माने जाते हैं। ब्रह्माजी के अनुसार, नाग देवताओं को इस दिन पूजा का वरदान मिला है, और उनकी पूजा से राहु-केतु जनित दोषों और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन विशेष रूप से निम्नलिखित कार्यों से बचना चाहिए:
जमीन की खुदाई: इस दिन किसी भी प्रकार की खुदाई, जैसे कि बगीचे में खुदाई या निर्माण कार्य करना, अशुभ माना जाता है।
सिलाई और कढ़ाई: चाकू, सुई जैसी नुकीली और तीखी चीजों का इस्तेमाल नाग पंचमी के दिन अशुभ माना जाता है। इसलिए सिलाई और कढ़ाई से बचना चाहिए।

अन्य त्योहारों पर तवा चढ़ाना: क्या है नियम?

नाग पंचमी के अलावा अन्य त्योहारों पर भी तवा चढ़ाना वर्जित माना जाता है। उदाहरण के लिए:

मां लक्ष्मी के त्योहारों पर: लक्ष्मी पूजा के समय खास पकवान बनाने की परंपरा है, और अक्सर इन त्योहारों पर रोटी की जगह पूरी बनाई जाती है।
शरद पूर्णिमा: इस दिन कच्ची रसोई बनाने की बजाय खीर और पूरी बनाने का विधान है।
शीतला अष्टमी: इस दिन बासी भोजन का भोग माता शीतला को अर्पित किया जाता है। ताजी रोटियों के बजाय बासी भोजन का प्रयोग होता है।
नाग पंचमी पर तवा चढ़ाना और चूल्हे पर रोटी बनाना वर्जित है, इसके पीछे सांस्कृतिक मान्यताएं और वैज्ञानिक तर्क दोनों ही हैं। यह परंपरा सांपों के प्रति सम्मान और श्रद्धा की भावना को बनाए रखने के उद्देश्य से है। प्रत्येक त्योहार के साथ जुड़ी इन परंपराओं को समझना और उनका पालन करना हमारे सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है, जो हमें अपनी परंपराओं के प्रति एक गहरी समझ और सम्मान प्रदान करता है।

नाग पंचमी पर तवा चढ़ाना क्यों माना जाता है वर्जित, जानें वैज्ञानिक तर्क 

नाग पंचमी, हिंदू संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें सांपों की पूजा की जाती है। यह दिन विशेष रूप से सांपों के प्रति श्रद्धा और उनके साथ जुड़ी पुरानी परंपराओं का सम्मान करने का अवसर है। हालांकि, इस दिन सांपों की मूर्तियों को तवा या चूल्हे पर चढ़ाने की परंपरा भी देखी जाती है। इस प्रथा को लेकर विभिन्न वैज्ञानिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण सामने आते हैं, जो इस प्रथा को वर्जित मानते हैं। आइए इस पर विस्तार से चर्चा करें:

1. उच्च तापमान का प्रभाव

तवा और चूल्हा सामान्यतः अत्यधिक गर्म होते हैं। जब सांप की मूर्ति, चाहे वह लकड़ी, पत्थर या धातु की हो, को इन गर्म सतहों पर रखा जाता है, तो तापमान के प्रभाव से मूर्ति में विकृतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। उच्च तापमान मूर्ति को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे उसकी संरचना में दरारें पड़ सकती हैं या उसका आकार बदल सकता है। यह सांप के प्रति आदर और श्रद्धा की भावना के विपरीत है, क्योंकि इसे ठेस पहुँचाना सांपों के प्रति सम्मान का उल्लंघन होता है।

2. विषाक्त पदार्थों का निर्माण

जब गर्मी और धातु का संपर्क होता है, तो कभी-कभी विषाक्त पदार्थों का निर्माण हो सकता है। यदि सांप की मूर्ति में कोई ऐसा पदार्थ है जो गर्मी के संपर्क में आने पर हानिकारक गैसें छोड़ता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसे विषाक्त पदार्थ वातावरण को प्रदूषित कर सकते हैं, जिससे समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

3. सांपों की पूजा और सम्मान

नाग पंचमी का मुख्य उद्देश्य सांपों के प्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट करना है। सांप, पारंपरिक भारतीय मान्यताओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और उन्हें पूजा का उद्देश्य उनकी शक्ति और प्रभाव को मान्यता देना होता है। तवा या चूल्हे पर सांप की मूर्ति चढ़ाना, सांपों के प्रति अनादर और उनके पवित्रता के उल्लंघन के रूप में देखा जा सकता है। इससे सांपों की पूजा का वास्तविक उद्देश्य प्रभावित हो सकता है।

4. पारिस्थितिकीय संतुलन का सम्मान

सांप पारिस्थितिक तंत्र का एक अभिन्न हिस्सा हैं। उनकी पूजा का अर्थ उनकी भूमिका और महत्व को समझना और सराहना होता है। गर्मी के संपर्क में आने से मूर्ति को नुकसान पहुंचाना पारिस्थितिकीय संतुलन के प्रति सम्मान की भावना के विपरीत है। यह सांपों की प्राकृतिक भूमिका और उनके पर्यावरणीय योगदान की अनदेखी का प्रतीक हो सकता है।
नाग पंचमी पर सांपों की मूर्तियों को तवा या चूल्हे पर चढ़ाना न केवल एक सांस्कृतिक प्रथा है, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक और संवेदनशील दृष्टिकोण भी छिपे हुए हैं। यह प्रथा सांपों के प्रति आदर और श्रद्धा के मूल उद्देश्य के खिलाफ जाती है, और इसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है। इसलिए, इस प्रथा को समझदारी और सावधानी के साथ अपनाना चाहिए, ताकि सांपों के प्रति हमारी श्रद्धा और सम्मान कायम रह सके।
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