Post Pregnancy Weight: माँ बनने का सुख दुनिया का सबसे बड़ा सुख मन जाता हैं। किन्तु इस अवस्था के दौरान एक माँ को जो पीड़ा होती हैं वो बहुत अधिक होती है। डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के अनुसार, बच्चे को जन्म देते समय एक महिला को एक ही समय में बीस हड्डियों के टूटने जितना दर्द होता है। महिलाओं को होने वाले दर्द (जो 57 डेल्स (दर्द मापने की एक इकाई है) की तुलना में पुरुष केवल 45 डेल्स दर्द ही सहन कर सकते हैं। अगर दर्द इससे ज़्यादा हो तो पुरुष की मौत भी हो सकती है।
प्रेगनेंसी के बाद स्वास्थ्य में होने वाले बदलाव
प्रेगनेंसी के बाद, महिलाएं कई शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक बदलावों का सामना करती हैं। ये बदलाव डिलीवरी के तुरंत बाद से लेकर कुछ महीनों तक जारी रह सकते हैं। यहाँ पर प्रेगनेंसी के बाद होने वाले प्रमुख स्वास्थ्य बदलावों की जानकारी दी गई है:
शारीरिक बदलाव
वजन में बदलाव:
वजन घटाना: डिलीवरी के बाद शरीर की अतिरिक्त वसा और तरल पदार्थ कम होने लगते हैं, जिससे वजन में कमी हो सकती है।
पेट का आकार: गर्भाशय और पेट की मांसपेशियों को वापस अपनी सामान्य स्थिति में आने में समय लग सकता है, जिससे पेट का आकार कुछ समय तक बड़ा दिखाई दे सकता है।
हार्मोनल परिवर्तन:
हार्मोनल असंतुलन: प्रेगनेंसी के दौरान और बाद में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जो मासिक धर्म की वापसी और शरीर के अन्य पहलुओं को प्रभावित कर सकते हैं।
मूड स्विंग्स: हार्मोनल बदलावों के कारण मूड स्विंग्स और भावनात्मक अस्थिरता आम हो सकती है।
छाती में बदलाव:
दूध का आना: डिलीवरी के बाद स्तनों में दूध का उत्पादन शुरू होता है, जिससे स्तन सूज सकते हैं और दर्द हो सकता है।
स्तन की त्वचा में परिवर्तन: ब्रेस्टfeeding के दौरान स्तनों की त्वचा में खिंचाव और संवेदनशीलता बढ़ सकती है।
पेट और गर्भाशय का आकार:
गर्भाशय की वापसी: गर्भाशय सामान्य आकार में लौटने में कुछ हफ्ते लग सकते हैं।
सूजन और दर्द: डिलीवरी के बाद पेट और अन्य अंगों में सूजन और दर्द हो सकता है।
मासिक धर्म की वापसी:
मासिक धर्म चक्र: प्रेगनेंसी के बाद मासिक धर्म चक्र की वापसी में कुछ समय लग सकता है, और यह अनियमित हो सकता है।
मानसिक और भावनात्मक बदलाव
भावनात्मक अस्थिरता:
मूड स्विंग्स: हार्मोनल बदलावों और नई जिम्मेदारियों के कारण मूड स्विंग्स और भावनात्मक अस्थिरता महसूस हो सकती है।
डिप्रेशन: कुछ महिलाओं को पोस्टपार्टम डिप्रेशन का सामना करना पड़ सकता है, जो उनकी मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
थकावट और नींद की कमी:
नींद की कमी: नवजात शिशु की देखभाल के कारण नींद की कमी हो सकती है, जिससे थकावट और चिड़चिड़ापन हो सकता है।
शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल
मासिक जांच:
चिकित्सकीय जांच: डिलीवरी के बाद नियमित चिकित्सकीय जांच महत्वपूर्ण होती है, ताकि गर्भाशय की स्थिति, रक्तदाब, और अन्य स्वास्थ्य पहलुओं की निगरानी की जा सके।
पोषण और आहार:
संतुलित आहार: उचित पोषण और संतुलित आहार से शरीर को सही मात्रा में विटामिन्स, मिनरल्स, और प्रोटीन मिलते हैं, जो शरीर के सामान्य स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं।
शारीरिक गतिविधि:
हल्का व्यायाम: हल्का व्यायाम, जैसे कि वॉकिंग और स्ट्रेचिंग, से शरीर को सक्रिय रखा जा सकता है और वजन घटाने में मदद मिल सकती है।
निष्कर्ष
प्रेगनेंसी के बाद स्वास्थ्य में कई प्रकार के बदलाव हो सकते हैं, जो शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक रूप में होते हैं। इन बदलावों का सामना करने के लिए आवश्यक है कि महिलाएं अपनी देखभाल करें, संतुलित आहार लें, नियमित चिकित्सकीय जांच करवाएं, और मानसिक स्थिति को ठीक रखने के लिए उचित सहायता प्राप्त करें। इन उपायों से महिलाएं प्रेगनेंसी के बाद एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकती हैं।
प्रेगनेंसी के बाद वजन बढ़ने के कारण और नियंत्रण के उपाय
प्रेगनेंसी की शुरुआत से ही महिलाओं के शरीर में कई शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं। प्रेगनेंसी के नौ महीने तक महिलाएं अपने स्वास्थ्य का खास ख्याल रखती हैं, लेकिन डिलीवरी के बाद अक्सर खुद की देखभाल को लेकर लापरवाह हो जाती हैं। इस लापरवाही का सबसे बड़ा असर उनके वजन पर पड़ता है। आइए जानते हैं कि डिलीवरी के बाद वजन बढ़ने के क्या कारण हो सकते हैं और इसे नियंत्रित करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।
डिलीवरी के बाद वजन बढ़ने के कारण
अधिक कैलोरी का सेवन: प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं की कैलोरी की जरूरत बढ़ जाती है, क्योंकि उन्हें अपने साथ बच्चे का पोषण भी करना होता है। इसके परिणामस्वरूप, उनका वजन बढ़ जाता है।
कम नींद और फिजिकल एक्टिविटी: प्रेगनेंसी के दौरान पोषण का ध्यान रखने के साथ-साथ महिलाओं की नींद पूरी नहीं हो पाती और उनकी शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है, जिससे वजन बढ़ सकता है।
तनाव: प्रेगनेंसी के दौरान और बाद में महिलाएं कई मानसिक तनावों से गुजरती हैं। शोधों में यह साबित हो चुका है कि तनाव वजन बढ़ाने का एक बड़ा कारण हो सकता है।
हाइपोथायरॉयडिज़्म: हाइपोथायरॉयडिज़्म के कारण भी महिलाओं में वजन बढ़ सकता है। यह स्थिति प्रेगनेंसी के दौरान या बाद में उत्पन्न हो सकती है।
दवाइयों के प्रभाव: कुछ दवाइयों का सेवन भी वजन बढ़ाने का कारण बन सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान आवश्यक दवाइयां इस समस्या को और बढ़ा सकती हैं।
डिलीवरी के बाद वजन नियंत्रण के उपाय
धीरे-धीरे वजन घटाएं: डिलीवरी के बाद का वजन अक्सर जिद्दी होता है। इसे धीरे-धीरे कम करने के लिए नियमित और व्यवस्थित प्रयास जरूरी हैं। गोल बनाकर धीरे-धीरे काम करें।
हेल्दी खाने की आदतें अपनाएं: डिलीवरी के बाद अक्सर महिलाओं को बहुत भूख लगती है, लेकिन उन्हें केवल हेल्दी खाना ही खाना चाहिए। दिन में 500 कैलोरी कम करने से भी हफ्तेभर में वजन घटाया जा सकता है।
कैलोरी का ध्यान रखें: डिलीवरी के बाद महिलाओं को अधिक कैलोरी और एनर्जी की जरूरत होती है। वजन कम करने के लिए कैलोरी इनटेक पर ध्यान दें और उचित आहार का सेवन करें।
सही तरीके से ब्रेस्टफीडिंग करें: ब्रेस्टफीडिंग न केवल आपके बच्चे के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वजन घटाने में भी सहायक हो सकती है। सुनिश्चित करें कि आप सही तरीके से ब्रेस्टफीडिंग कर रही हैं।
सक्रिय जीवनशैली अपनाएं: वजन कम करने के लिए अपनी लाइफस्टाइल में सुधार करें। दिनभर एक्टिव रहें, खुद से काम करें और रोजाना थोड़ी-बहुत वॉक करें। यह आपके शरीर को फिट और तंदुरुस्त रखने में मदद करेगा।
निष्कर्ष
डिलीवरी के बाद वजन बढ़ना एक सामान्य समस्या हो सकती है, लेकिन इसके नियंत्रण के लिए उचित प्रयास और धैर्य की आवश्यकता होती है। हेल्दी आहार, नियमित शारीरिक गतिविधि, और सही ब्रेस्टफीडिंग के साथ-साथ मानसिक तनाव को कम करने पर ध्यान दें। इन उपायों को अपनाकर आप अपने वजन को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
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